राष्ट्रपति किसे कहते हैं, राष्ट्रपति कैसे बने, योग्यता, राष्ट्रपति बनने से लाभ व हानि, राष्ट्रपति का चुनाव, राष्ट्रपति की शक्तियाँ

आज हम इस पोस्ट में आपको बताने वाले हैं राष्ट्रपति किसे कहते हैं, राष्ट्रपति कैसे बने, योग्यता, राष्ट्रपति बनने से लाभ व हानि, राष्ट्रपति का चुनाव, राष्ट्रपति की शक्तियाँ व राष्ट्रपति से जुडी हुई बहुत सारी अन्य बातो के बारे में…

तो चलिए राष्ट्रपति के बारे में आपसे पहले कुछ मुख्य बाते पुछ लेते हैं जोकि आपको पता होनी चाहिए |

1.वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति कौन हैं ?

उत्तर- राम  नाथ कोविंद 

2.राम  नाथ कोविंद को भारत के राष्ट्रपति के रूप में उपाधि कब मिली ?

उत्तर – 25 जुलाई 2017

भारत के राष्ट्रपति - विकिपीडिया

राष्ट्रपति किसे कहते हैं

संविधान के अनुसार राष्ट्रपति कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के प्रमुख है। परन्तु वास्तविक शक्तियाँ प्रधानमंत्री के पास निहित राष्ट्रपति देश के प्रथम नागरिक हैं।

नोट: राज्य के प्रथम नागरिक राज्यपाल नगर का प्रथम नागरिक महापौर / मेयर और जिले का प्रथम नागरिक जिला पंचायत अध्यक्ष को कहा जाता है।

राष्ट्रपति भारतीय सेना के सर्वोच्च सेनापति है। (इस शक्ति के अनुसार वह थलसेना, वायुसेना एव नौसेना के प्रमुखों की नियुक्ति करते है)

राष्ट्रपति कैसे बने, योग्यता

वह कम से कम 35 वर्ष पूर्ण कर चुका हो, लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो। भारत का नागरिक हो (चाहे जन्म से या प्राकृतिक विधि से नागरिकता प्राप्त की हो) और लाभ के पद पर न हो।

राष्ट्रपति बनने से लाभ

राष्ट्रपति पद का प्रत्याक्षी यदि उपराष्ट्रपति, किसी राज्य के राज्यपाल और संघ अथवा राज्य के मंत्री के पद पर हो तो उसे लाभ का पद नहीं माना जाता है। यदि वह संघ सरकार में अथवा राज्य सरकार में अथवा किसी स्थानीय प्राधिकरण में अथवा किसी सार्वजनिक प्राधिकरण में पद पर है तो उसे लाभ का पद कहते है।

राष्ट्रपति का चुनाव (Election of President) राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से अनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय प्रणाली व गुप्त मतदान के द्वारा कराया जाता है।

यदि प्रथम चरण में प्रथम वरीयता में मतों की पर्याप्त संख्या नहीं प्राप्त होती तब स्थानांतरण की प्रक्रिया अपनाई जाती है। प्रथम वरीयता के न्यूनतम मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार के मतों को रद्द कर दिया जाता है तथा उसके द्वितीय वरीयता के मत अन्य उम्मीदवारों के प्रथम वरीयता के मतों में हस्तांतरित कर दिए जाते है।

निर्वाचन आयोग द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव आयोजित कराया जाता है। परन्तु चुनाव से सम्बंधित विवाद का निपटारा उच्चतम न्यायालय करता है।

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम, 1952 (1997 में संशोधित) के द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव कराया जाता है।

चयनित होने के लिए उम्मीदवार को न्यूनतम् कोटा ( कुल वोट1 ) प्राप्त 2 करना होता है।

राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा महासचिव को चुनाव अधिकारी होता है। वह विजेता का नाम घोषित करता है।

नोट-राष्ट्रपति कितनी ही बार पुनः निर्वाचित हो सकता है। (अनु.57) निर्वाचन मण्डल (Electoral College)

लोकसभा के चयनित सदस्य, राज्य सभा के चयनित सदस्य राज्यों की विधानसभा के चयनित सदस्य और दिल्ली, जम्मू-कश्मीर एवं पुदुचेरी केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते हैं। में यह भी जानें- निलम्बित विधानसभा के विधायक भी चुनाव में हिस्सा लेते है। यदि विधानसभा भंग है तब इसके विधायक चुनाव में हिस्सा नहीं लेते है। उम्मीदवार के नाम की प्रस्तावना कम से कम 50 निर्वाचकों के द्वारा प्रस्तावित की जाती है। कम से कम 50 निर्वाचकों के द्वारा अनुमोदित किया जाता है। जमानत राशि ( ₹15,000/-) आर.बी.आई. में जमाई करायी जाती है। कुल वैद्य मतों के 1/6 से कम मत प्राप्त होने की स्थिति में जमानत जब्त हो जाती है। प्रत्येक सांसद एवं राज्य की विधानसभा के विधायकों (मत) के मत का मूल्य निर्धारण करने का सूत्र है :

विधायक एवं सांसद के मत का मूल्य निर्धारण का सूत्र :

राज्य या संघीय क्षेत्र की विधान सभा के सदस्य के मत का मूल्य= राज्य या संघीय क्षेत्र की जनसंख्या (1971 की जनगणना) /विधान सभा या संघीय क्षेत्र की विधानसभा के चयनित सदस्यों की संख्या x 1

 

संसद सदस्य के मत का मूल्य= समस्त राज्य एवं संघीय क्षेत्र को प्राप्त मतों की कुल संख्या का योग /संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों के मतों की संख्या

4120 विधायकों (एमएलए) का मत……….. 5, 49, 474 776

776 सांसदों का मत ………………………………….5,49,408

याद रखें – उपरोक्त सूत्र द्वारा उत्तर प्रदेश के विधानसभा सदस्य के मत का मूल्य सर्वाधिक (208) है। सिक्किम राज्य के विधानसभा सदस्य के मत का मूल्य सबसे कम सिर्फ 7 है।

  • भारत के चौथे राष्ट्रपति बी.बी.गिरि के चुनाव (1969) में द्वितीय वरीयता (second preference) की आवश्यकता पड़ी थी।
  • 14 वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के चुनाव के बारे में विशिष्ट तथ्य यह 15 वें राष्ट्रपति चुनाव थे क्योंकि प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद दो बार चुने गये थे।

चुनाव में मतपत्र का प्रयोग किया जाता है। सांसद के लिए हरे रंग का और विधायकों के लिए गुलाबी रंग के मतपत्र का प्रयोग किया गया। निशान लगाने के लिए बैंगनी रंग की स्याही वाले पैन का प्रयोग किया गया।

चुनाव जीतने के लिए न्यूनतम 5, 34, 680 मत की आवश्यकता थी। रामनाथ कोविंद ने 702044 मत (666) प्राप्त किए।

शपथ……………….मुख्य न्यायधीश या वरिष्ठतम् न्यायधीश द्वारा

(राष्ट्रपति संविधान का संरक्षण, सुरक्षा और प्रतिरक्षा करने की शपथ लेते है।) कार्यवाहक राष्ट्रपति भी शपथ ग्रहण करता है।

त्यागपत्र……………..उपराष्ट्रपति को

(त्यागपत्र के बारे में लोकसभा अध्यक्ष को सूचित किया जाता है)

वेतन व भत्ते.

₹5 लाख / माह पेंशन- ₹2.50 लाख / माह राष्ट्रपति को वेतन भारत की संचित निधि से प्राप्त होता है। कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति के वेतन में कटौती नहीं की जा सकती है। राष्ट्रपति की आय पर आयकर नहीं लगता। त्यागपत्र देने की स्थिति में भी राष्ट्रपति को पेंशन प्राप्त होती है।

राष्ट्रपति आवास

रायसेन पहाड़ियों पर स्थित राष्ट्रपति भवन वर्ष 1929 में बनकर तैयार हुआ। इस भवन का वास्तुकार एडवर्ड ल्यूटयन था। उस समय भवन को वायसराय पैलेस कहा जाता था। लार्ड इर्विन इसमें निवास करने वाले प्रथम गर्वनर जनरल बने।

बोलरम, हैदराबाद और छरबरा, शिमला स्थित भवन राष्ट्रपति के छुट्टी मनाने के अधिकारिक निवास स्थान (Retreat residences ) है।

महाभियोग की प्रक्रिया

अनु.61 (Impeachment of President) राष्ट्रपति को कार्यकाल से पूर्व अपदस्थ करने के लिए संविधान में महाभियोग की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। केवल संविधान के उल्लंघन के आरोप के आधार पर राष्ट्रपति के विरूद्ध महाभियोग की प्रक्रिया आरंभ हो सकती है।

ज्ञात रहे- यह प्रक्रिया अभी तक किसी भी राष्ट्रपति पर प्रारम्भ नहीं की गयी है।

महाभियोग की प्रक्रिया किसी भी सदन, राज्य सभा या लोकसभा में प्रारम्भ की जा सकती है। मतदान की प्रक्रिया में मनोनित सदस्य भी भाग लेंगे परन्तु विधायक हिस्सा नहीं लेते।

जिस सदन में आरोप लगाया जाता है, उसके एक चौथाई सदस्यों के द्वारा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए जाते है। राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस जारी किया जाता है। यदि उक्त सदन में दो तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित होने के बाद दूसरे सदन में भेजा जाता है, तो वह आरोपों की जांच करता है।

यदि दूसरा सदन आरोपों को सही पाता है और दो तिहाई बहुमत से यह प्रस्ताव पारित हो जाए, तो राष्ट्रपति अपदस्थ हो जाएगें।

नये राष्ट्रपति का चुनाव अगले छह महीने की समय सीमा के भीतर हो जाना चाहिए। चुनाव होने तक उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति का पदभार सम्भालते है। यदि उपराष्ट्रपति का पद भी रिक्त है तो देश के मुख्य न्यायाधीश पदभार सम्भालते है। एम. हिदायतुल्ला देश के एकमात्र मुख्य न्यायाधीश है जिन्होंने

  • कार्यवाहक राष्ट्रपति का पदभार सम्भाला है।
  • नव चयनित राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है।

यह भी जानें

1. संसद के मनोनित सदस्य जो राष्ट्रपति के चुनाव में हिस्सा नहीं लेते इस महाभियोग में भाग लेते है।

2. राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य तथा दिल्ली और पुदुचेरी विधानसभा के सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं, परन्तु महाभियोग में हिस्सा नहीं लेते हैं।
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राष्ट्रपति की शक्तियाँ

कार्यपालिका सम्बन्धित शक्तियाँ (Executive Powers)

महत्वपूर्ण अधिकारियों, केन्द्रीय मंत्रियों राज्य के राज्यपाल, उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश, महालेखा परीक्षक आदि की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

विदेशों में राजदूत एवं राजनयिक की नियुक्ति एवं विदेशी राजदूतों के प्रमाणपत्र को राष्ट्रपति स्वीकार करते हैं। विधायी शक्तियाँ/ Legislative Powers.

नव गठित लोकसभा के प्रथम सत्र एवं संसद के वर्ष के प्रथम सत्र को राष्ट्रपति महोदय सम्बोधित करते हैं।

  • राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही विधेयक अधिनियम बनता है।

संसद के सावन की अवधि में या किसी भी एक सदन के अवकाश होने की स्थिति में अध्यादेश जारी करने का अधिकार है। परन्तु साथ ही यह शर्त भी है कि सदन की बैठक होने के के भीतर अध्यादेश अनुमोदित होना जरूरी है अन्यथा अध्यादेश समाप्त हो जाता है। राष्ट्रपति अध्यादेश को किसी भी समय बापस ले सकता है।

धन विधेयक संविधान संशोधन एवं वित्त विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति से हो लोकसभा में रखा जा सकता है।

राष्ट्रपति संसदको बैठक बुलाता है और संयुक्त बैठक का आयान करते है। संसद को भंग करना एवं सत्रावसान का अधिकार भी राष्ट्रपति के पास है।

यदि लोकसभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष दोनों के पद रिक्त हो तो वह लोकसभा के किसी सदस्य को सदन को अध्यक्षता सौंप सकताहै।

लोकसभा में दो आंग्ल भारतीय सदस्यों को मनोनीत करते हैं। राज्य सभा में कला, विज्ञान, साहित्य, समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ उपलब्धि प्राप्त करने वाले 12 सदस्यों को मनोनित करते हैं।

चुनाव आयोग के परामर्श कर संसद सदस्यों की निरर्हता का निर्णय करता है।

राज्य विधायिका द्वारा पारित विधेयक को राज्यपाल राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है। राष्ट्रपति ऐसे विधेयक को सहमति दे सकता है या राज्य विधायिका को पुर्नविचार के लिए भी भेज सकता है। यदि राज्य विधायिका पुनः विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजती है तो राष्ट्रपति स्वीकृति देने के लिए बाध्य नहीं है।

राष्ट्रपति महानियंत्रक एवं लेखा परीक्षक संघ लोक सेवा आयोग, वित्त आयोग की रिपोर्ट संसद के समक्ष रखता है।

वीटो की शक्ति अनु.111/ (Veto power)

राष्ट्रपति के अधीन तीन प्रकार की वीटो शक्तियाँ निहित है

पूर्ण वीटो (Absolute Veto)

राष्ट्रपति की वह शक्ति जिसके द्वारा संसद द्वारा पारित किसी विधेयक को अपने पास सुरक्षित रखता है। इस प्रकार यह विधेयक समाप्त हो जाता है।

सामान्यत यह वीटो निम्न मामलों में प्रयोग में लाया जाता है

  • निजी सदस्य (वह सांसद जो मंत्री नहीं होता) के विधेयक के संबंध में
  • सामान्य विधेयक के मामले में
  • सरकारी विधेयक के मामले में जब मंत्रिमंडल त्यागपत्र दे देता है और नया मंत्रिमंडल राष्ट्रपति को ऐसा करने की सलाह दे |

यह भी जाने!

डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपनी जीवनी’ आत्मकथा’ लिखी है। उन्होंने’ इण्डिया डिवाइडेड’ और ‘ महात्मा गांधी और बिहार’ नामक पुस्तकां की भी रचना की।

निलम्बन छोटो (Suspension Veto)

धन विधेयक एवं संविधान संशोधन विधेयक के अलावा अन्य सभी विधेयकों को राष्ट्रपति एक बार पुर्नविचार के लिए मंत्रीमण्डल के पास वापस भेज सकता है। यदि विधेयक संशोधित या असंशोधित अवस्था में राष्ट्रपति के पास वापस लौटाया जाता है. तो राष्ट्रपति को अपनी स्वीकृति देनी ही होगी।

पॉफिट वीटो (Pocket Veto)

विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए, संविधान में राष्ट्रपति के लिए कोई भी निश्चित समय सीमा नहीं रखी गयी है, यदि राष्ट्रपति चाहे तो 5 वर्षों तक उस विधेयक को अपने पास रख सकता है। राष्ट्रपति राज्य विधायकों के संदर्भ में भी पॉकेट वीटो का प्रयोग कर सकता है।

आपातकालीन शक्तियाँ (Emergency Powers)

राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा केवल मंत्रिमंडल की लिखित सलाह प्राप्त होने पर ही कर सकता है न कि मात्र प्रधानमंत्री की सलाह पर देश में आपातकाल तीन अनुच्छेदों के अन्तर्गत लगाया जा सकता है।

अनु. 352 : राष्ट्रीय आपातकाल

राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा तीर बार-1962 (भारत-चीन युद्ध), 1971 (भारत-पाक युद्ध) व 1975 से 1977 तक (आंतरिक अशान्ति के

आधार पर) में हुई है।

1. आपातकाल तीन परिस्थतियों में घोषित होता है युद्ध, बाह्य आक्रमण व सशस्त्र विद्रोह के दौरान.

2.1978 से पहले सशस्त्र विद्रोह के स्थान पर आंतरिक अशांति शब्द का प्रयोग होता था, परन्तु 44 वें संविधान संशोधन 1978 द्वारा आंतरिक अशान्ति शब्द के स्थान पर सशस्त्र विद्रोह शब्द को जोड़ दिया गया।

नोट: आपातकाल की विज्ञप्ति विदेश मंत्रालय द्वारा जारी की जाती है।

3. आपातकाल की घोषणा का प्रस्ताव एक माह के भीतर संसद से पारित हो जानी

चाहिए। यदि लोकसभा भंग हो तो राज्य सभा का अनुमोदन चाहिए (प्रारम्भ में समय सीमा 2 माह थी परन्तु 44 वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा समय सीमा घटा कर 1 माह की गई)। प्रत्येक प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित होना चाहिए।

4. एक बार अनुमोदित होने के बाद आपातकाल 6 महीने तक लागू रह सकता है। तथा प्रत्येक छह माह में संसद के अनुमोदन से इसे अनंतकाल तक बढ़ाया जा सकता है। राष्ट्रपति की उद्घोषणा द्वारा आपातकाल को किसी भी समय समाप्त किया जा सकता है।

आपातकाल के प्रभाव

1. अनु.358, अनु.19 द्वारा दिए गए अधिकारों के निलंबन से संबंधित है। आपातकाल की घोषणा होते ही यह स्वतः ही निलंबित हो जाते है। यह अधिकार (अनु.19) केवल युद्ध और बाह्य आक्रमण की घोषणा को स्थिति में ही राष्ट्रपति द्वारा निलम्बित किए जाते हैं। अनु. 359 अन् मौलिक अधिकारों के निलंबन (अनु 20 21 के अलावा) से सम्बंधित हैं। यह अधिकार युद्ध, वारय आक्रमण और सशस्त्र विद्रोह के दौरान निलंबित किए जाते हैं।

2. लोकसभा और राज्य विधानसभा के सामान्य कार्यकाल (5 वर्ष) में एक बार में एक वर्ष के लिए (कितने भी समय के लिए) वृद्धि की जा सकती है। परन्तु आपातकाल की समाप्ति के बाद छह महीने से अधिक के लिए लोकसभा एवं राज्य विधानसभा के कार्यकाल में वृद्धि नहीं होगी।

3. संविधान संघीय की जगह एकात्मक हो जाता है। संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।

अनु 356: राज्य आपातकाल/राष्ट्रपति शासन

1. राज्यपाल की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा की जाती है। राज्यपाल तब सिफारिश करता है जब उसे इस बात का समाधान हो जाता है। कि उस राज्य का शासन भारत के संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है।

2. राज्य की विधानसभा या तो भंग या निलम्बित कर दी जाती है।

3. आपातकाल के प्रस्ताव को संसद द्वारा दो महीने के भीतर अवश्य पारित

किया जाना चाहिए (सामान्य बहुमत द्वारा) अन्यथा आपातकाल निरस्त हो जाता है।

4. एक बार में यह आपातकाल छह महीने के लिए लागू रहता है। अधिकतम् तीन वर्ष के लिए संसद की प्रत्येक छह माह की स्वीकृति से बढ़ाया जा सकता है।

5. इस आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार प्रभावित नहीं होते हैं। 6. राज्य की विधायी शक्तियाँ संसद के अधीन हो जाती हैं। राज्य का बजट संसद में प्रस्तुत किया जाता है। पंजाब में सर्वप्रथम राष्ट्रपति शासन (वर्ष 1951-52) लगाया गया था।

सर्वाधिक समयकाल (10 वर्ष)………………….. पंजाब में लगा है।

सर्वाधिक बार (10) ……………….. उत्तर प्रदेश में लगा है।

छत्तीसगढ़ और तेलांगना वह राज्य है जहां पर राष्ट्रपति शासन नहीं घोषित किया गया है।

अनु. 360: वित्तीय आपातकाल

यदि राष्ट्रपति संतुष्ट हो कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें भारत अथवा उसके किसी क्षेत्र को वित्तीय स्थिति खतरे में हो, तो वह वित्तीय आपात की घोषणा कर सकता है।

1. वित्तीय आपातकाल भारत में अभी तक नहीं लगाया गया है।

2. आपातकाल पूरे भारत या भारत के किसी भी हिस्से में आर्थिक संकट की परिस्थिति में लगाया जा सकता है।

3. यह प्रस्ताव संसद के द्वारा दो माह के भीतर पारित हो जाना चाहिए अन्यथा निरस्त हो जाएगा।

4. राष्ट्रपति की घोषणा तक आपातकाल प्रभावी रहता है।

प्रभाव

राष्ट्रपति सभी सरकारी कर्मचारियों (केंद्र और राज्यों के) के वेतन में कटौती कर सकते है, इसमें उच्चतम् न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी शामिल है।

.. मौलिक अधिकार अप्रभावित रहते है।

अध्यादेश जारी करने की शक्ति (अनु. 123) (Ordinance)

संसद के दोनों अथवा किसी भी एक सदन का सत्र न चल रहा हो और राष्ट्रपति संतुष्ट हो कि मौजूदा परिस्थति ऐसी है कि उसके लिए तत्काल कार्यवाही करना आवश्यक है। तब वह अध्यादेश जारी कर सकता है। अध्यादेश का महत्व संसद के द्वारा पारित अधिनियम के समान ही होता है।

अध्यादेश केवल उन्हीं विषयों पर जारी किया जा सकता है जिन पर संसद कानून बना सकती है।

प्रधनमंत्री और कैबिनेट की सिफारिश पर राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करता है। राष्ट्रपति पुर्नविचार के लिए अध्यादेश को लौटा सकता है। राष्ट्रपति किसी भी समय अध्यादेश को वापस ले सकता है।

संसद सत्र के अधिवेशन प्रारम्भ होने के 6 हफ्ते के भीतर यह प्रस्ताव पारित होना अनिवार्य है अन्यथा अध्यादेश निरस्त हो जाता है। यदि संसद के दोनों सदन इसका निरनुमोदन कर दें तो यह निर्धारित छह सप्ताह की अवधि से पहले भी समाप्त हो सकता है। यदि संसद के दोनों सदन अध्यादेश को पारित कर देते है तो वह कानून बन जाता है।

याद रखें भारत परिषद अधिनियम, 1861 में गर्वनर जनरल को अध्यादेश का अधिकार दिया गया था। यूएसए और यूके (ब्रिटेन) में अध्यादेश का प्रावधान नहीं है।

न्यायिक अधिकार अनु, 72 (Judicial Powers)

न्यायालय द्वारा दी गयी सजा को कम करना, निरस्त करना एवं मृत्यु दण्ड को क्षमादान का अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त है। राष्ट्रपति सेना न्यायालय द्वारा दंडानिष्ट व्यक्ति को भी क्षमादान दे सकते हैं।

नोट: मृत्यु दण्ड को क्षमा करने के अधिकार का प्रयोग राष्ट्रपति गृह मंत्रालय की सिफारिश के आधार पर करता है।

ध्यान रखें- राज्यपाल को भी अनु. 161 के अनुसार क्षमादान का अधिकार है। परन्तु दो मामलो में अंतर हैं:

1. राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकता है परंतु राज्यपाल नहीं कर सकता है। हालांकि मृत्युदण्ड को निलंबित करने या दंड की अवधि को कम करने का अधिकार दोनों की शक्तियां समान है।

2. राज्यपाल सैन्य न्यायालय द्वारा दी गई सजा की माफ नहीं कर सकता है।

राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति

क्षमा (Pardon)

दोषी को सभी दण्ड दण्डादेशों और निर्रहताओं से पूर्ण रूप से मुक्त कर दिया जाता है।

प्रविलंबन (Reprieve)

किसी दंड, विशेष रूप से मृत्यु दंड, पर अस्थायी रोक लगाना होता है। इसका कारण प्रार्थी को क्षमा याचना अथवा दंड के स्वरूप परिवर्तन की याचना के लिए समय देना है।

विराम (Respite)

किसी दोषी को मूल रूप से दी गई सजा को विशेष परिस्थिति में कम करना, जैसे महिलाओं को गर्भावस्था की अवधि के कारण।

परिहार (Remission)

दंड के प्रकृति में परिवर्तन किए बिना उसकी अवधि कम करना। जैसे 5 वर्ष के कठोर कारावास को 2 वर्ष के कठोर कारावास में परिहार करना।

20 जनवरी 2014 का उच्चतम् न्यायालय का महत्वपूर्ण निर्णय

40 वें मुख्य न्यायाधीश पी. सत्यशिवम् की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बैंच ने निर्णय सुनाया कि लम्बे समय से लंबित दया याचिका का निर्णय कैदियों को मानसिक प्रताड़ना देता है । दया याचिका पर इतने समय तक अनिर्णय की स्थिति मृत्यु दण्ड को आजीवन कारावास में परिवर्तित करने के लिए पर्याप्त है। मानसिक रोगी को भी मृत्युदण्ड नहीं दिया जा सकता है। उच्चतम् न्यायालय ने साथ ही निर्देश दिया कि मृत्यु दण्ड प्राप्त कैदी को इसकी सूचना निर्धारित दिन से 14 दिन पूर्व दी जानी चाहिए।

सी. आर. पी. सी. (दण्ड संहिता प्रक्रिया) के सेक्शन 432 के अनुसार आजीवन कारावास सजा प्राप्त अभियुक्त को राज्य सरकार सामान्यतः 14 वर्ष के कारावास के बाद माफी प्रदान कर सकती है।

सी. आर. पी. सी. के सेक्शन 435 (2) के अनुसार यदि केन्द्र के अधिकार क्षेत्र के विषय सूची के उल्लंघन के लिए अभियुक्त दोषी पाया गया है तो राज्य सरकार के लिए आवश्यक है कि क्षमा दान देने के निर्णय में केन्द्र सरकार की सलाह लेना अनिवार्य और बाध्यकारी हैं।

लघुकरण (Commutation)

दंड के स्वरूप को बदलकर कम करना। जैसे मृत्युदंड का लघुकरण कर आजीवन कारावास में परिवर्तन करना ।।

यह भी जानें

राष्ट्रपति सभी केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का विजिटर होता है। इस हैसियत से राष्ट्रपति केंद्रीय विश्वविद्यालयों के उप-कुलपति की नियुक्ति करता है।

राष्ट्रपति के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य:

राजेन्द्र प्रसाद (1950-1962)

1950 में संविधान सभा के सदस्यों द्वारा राजेन्द्र प्रसाद को राष्ट्रपति चुना गया “राजेन्द्र प्रसाद का ‘देश रत्न’ उपनाम से संबोधित किया जाता है।

वर्ष 1952 से 1962 तक दो बार राष्ट्रपति का पद सम्भाला। दो बार राष्ट्रपति पद पर चुने जाने वाले एकमात्र व्यक्ति।

सर्वपल्ली राधाकृष्णनन् ( 1962-67)

यह यू.जी.सी. (विश्वविद्यालय अनुदान आयोजग) के प्रथम अध्यक्ष थे। वर्ष 1954 में प्रथम भारत रत्न पुरुस्कार प्राप्त किया।

प्रथम राष्ट्रीय आपातकाल अक्टूबर वर्ष 1962 में घोषित किया गया। इनके जन्मदिवस 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस (1962 से) के रूप में मनाया जाता है। 1963 में इन्हें’ ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर’ प्रदान किया गया।

जाकिर हुसैन (1967-69)

राष्ट्रपति पद पर न्यूनतम् कार्यकाल रहा। इनकी कार्यकाल में ही मृत्यु हो गयी। एम. हिदायतुल्ला (1969) देश के एकमात्र मुख्य न्यायाधीश जो कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। ऐसा इसलिए हुआ कि जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद उपराष्ट्रपति वी. वी. गिरि ने भो त्यागपत्र दे दिया।

बी. वी. गिरि (1969-74)

राष्ट्रपति बनने वाले प्रथम निर्दलीय उम्मीदवार राष्ट्रपति का चुनाव जीतने से पूर्व में वह ट्रेड यूनियन (मजदूर संगठन) के सक्रिय सदस्य रहे थे। वी.वी. गिरि ने कानून की पढ़ाई आयरलैंड में की थी। चुनाव में प्रथम बार द्वितीय मतगणना को आवश्यकता पड़ी। वी.वी. गिरी ने कांग्रेस के प्रत्याक्षी नीलम संजीवा रेड्डी को पराजित किया। वर्ष 1971 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की।

फखरुद्दीन अली अहमद (1974-77)

कार्यकाल में मृत्यु हो गयी। वर्ष 1975 में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की।

नीलम संजीव रेड्डी (1977-82)

सबसे कम उम्र (64 वर्ष) में राष्ट्रपति पद पर आसीन होने वाले व्यक्ति।

राष्ट्रपति के अंगरक्षक

 सेना की विशिष्ट घुड़सवार टुकड़ी के सदस्य राष्ट्रपति के अंगरक्षक नियुक्त किये जाते है। भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए केवल तीन जातियों जाट, राजपूत, जट्ट सिक्ख के सदस्यों को आमंत्रित किया जाता है।

एकमात्र राष्ट्रपति जो पूर्व में राष्ट्रपति पद का चुनाव हार कर (1969 में) हार गये थे।

निर्विरोध चुने गये एकमात्र राष्ट्रपति क्योंकि बाकि सभी उम्मीदवारों के नामांकन निरस्त हो गये थे। प्रथम मुख्यमंत्री जो राष्ट्रपति चुने गये।

राष्ट्रपति का चुनाव जीतने वाले एकमात्र लोकसभा अध्यक्ष।

ज्ञानी जैल सिंह (1982-87)

एकमात्र सिक्ख राष्ट्रपति एवं डाक घर विधेयक के संदर्भ में इन्होंने प्रथम बार पॉकिट वीटों का प्रयोग किया। वर्ष 1994 में सडक दुर्घटना में मृत्यु हो गयी। अवुल पकीर जैन उल अबिदिन अब्दुल कलाम आजाद (2002-07) राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने वाले देश के एकमात्र वैज्ञानिक। इनका उपनाम ‘मिसाइल मैन’ है। इन्हें ‘पीपुल्स प्रजिडेंट’ भी कहा जाता है।

पनडुब्बी की जलयात्रा करने वाले एकमात्र राष्ट्रपति वर्ष 2005 में इनके राष्ट्रपति पद पर होते हुए सूचना का अधिकार कानून बना।

इनके जन्म दिवस 15 अक्टूबर को विश्व विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जाता है। बंगाल की खाड़ी में स्थित व्हीलर द्वीप का नामकर ए पी जे अब्दुल कलाम आजाद द्वीप कर दिया गया है।

प्रतिभा पाटिल (2007-12)

13 वें राष्ट्रपति के चुनाव में देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति चुनी गई।

प्रणव मुखर्जी (2012-17)- 01 जनरवरी 2014 में लोकपाल बिल पर और 08 सितम्बर 2016 को जीएसटी बिल पर हस्ताक्षर किए।

रामनाथ कोविंद ( 2017-22 ) दलित राष्ट्रपति है। जन्म स्थान कानपुर देहात, उत्तर प्रदेश है। राष्ट्रपति चुनाव में इन्होने विपक्षी दल की उम्मीदवार मीरा कुमार को हराया।

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