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मैदानी भाग का विभाजन (Division of Plains)

दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं मैदानी भाग का विभाजन (Division of Plains) के बारे में यह बहुत ही महत्वपूर्ण टॉपिक हैं इसके बारे में आपको ज्ञान होना बेहद ज़रूरी हैं.

मैदानी भाग का विभाजन (Division of Plains)

‘टेथिस’ के हिमालय के रूप में ऊपर उठने तथा प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी किनारे के नीचे धँसने के परिणामस्वरूप एक बहुत बड़ी द्रोणी का निर्माण हुआ। समय के साथ-साथ यह बेसिन उत्तर के पर्वतों एवं दक्षिण के प्रायद्वीपीय पठारों से बहने वाली नदियों के अवसादी निक्षेपों द्वारा धीरे-धीरे भर गया। इस प्रकार जलोढ़ निक्षेपों से निर्मित एक विस्तृत समतल भूभाग भारत के उतरी मैदान के रूप में विकसित हो गया.

मैदानी क्षेत्र को चार प्रमुख क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है-

भावर/ भाभर-

हिमालय की तलहटी में स्थित क्षेत्र, जो नदियों द्वारा लाये गये पत्थरों से ढ़का / फैला हुआ 8 से 16 किमी. का क्षेत्र है। सभी सरिताएँ भावर पट्टी में विलुप्त हो जाती हैं.

तराई-

भाभर पट्टी के दक्षिण में ये सरिताएँ एवं नदियाँ पुनः निकल आती हैं और नम दलदली क्षेत्र का निर्माण करती है। जिसे ‘तराई’ कहा जाता है. तराई हिमालय की तलहटी से लगा हुआ उपजाऊ मैदानी क्षेत्र है। पं. बंगाल और भूटान से लगे हिमालयन क्षेत्र को दुआर/ Dooars के नाम से जाना जाता है.

नोट: नेपाल की तराई में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को मदहंसी के नाम से जाना जाता है.

भांगर/बांगर-

नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं तथा वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं। इस भाग को ‘भांगर’ के नाम से जाना जाता है.

खादर-

बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षेपों को ‘खादर’ कहा जाता है। इनका लगभग प्रत्येक वर्ष पुननिर्माण होता है, इसलिए ये उपजाऊ होते हैं तथा गहन खेती के लिए आदर्श होते है.

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